Wednesday 20 June 2018

देवभूमि से योगभूमि तक का सफर


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जन जन के प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का देवभूमि पधारने पर हार्दिक अभिनंदन करता हूं। मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि योगभूमि उत्तराखंड की पावन धरती पर इस बार योग के महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इस बार 50 हजार से ज्यादा लोगों को प्रधानमंत्री जी के सानिध्य में उत्तराखंड के स्वच्छ वातावरण में योग करने का सुखद सौभाग्य मिल रहा है। उत्तराखंड वासियों में इस योगपर्व के लिए खासा उत्साह दिख रहा है।


योग दिवस के प्रस्ताव की वैश्विक स्वीकारोक्ति एक परिवर्तनकारी घटना है। याद कीजिए 27 सिबंतर 2014 का दिन, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। यह एक ऐतिहासिक पल तो था ही, हर भारतवासी के लिए गौरव का क्षण भी था। इस प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में रिकॉर्ड तीन महीनों में सहमति बनी और 11 दिसंबर 2014 को यूएन ने इस प्रस्ताव को मंजूर किया और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की। योग के लिए संपूर्ण विश्व के एकजुट होने की घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी। इसी तरह योग के लिहाज से 21 जून 2018 की तारीख भी उत्तराखंड के लिए एक परिवर्तनकारी घटना होगी।

      देवभूमि उत्तराखंड में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किसी वरदान से कम नहीं है। उत्तराखंड योग और अध्यात्म की राजधानी रही है। यहां की कंदराओं में प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों ने तप और योग किया है। योग यहां की धरा से प्रवाहित हुआ है, इसलिए एक बार फिर योग के महाकुंभ के आयोजन की जिम्मेदारी मिलना हमारा सौभाग्य है। यह दिन उत्तराखंड के इतिहास में एक परिवर्तनकारी दिन साबित होगा। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
      हम सभी जानते हैं कि आने वाले समय में उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान होगा। योग और आध्यात्मिक पर्यटन इस क्षेत्र में विशेष योगदान दे सकते हैं। देवभूमि की धरा से जब योग का संदेश दुनिया के कोने कोने में जाएगा तो यह विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में सहायक होगा। उत्तराखंड को योगभूमि के तौर पर पहचान मिलेगी। हमारे प्रदेश के युवाओं को योग और पर्यटन से जुड़ने का अवसर मिलेगा और बड़ी मात्रा में रोजगार सृजित होंगे। इस तरह योग न सिर्फ हमें स्वस्थ रखने का जरिया बनेगा, बल्कि प्रदेश की आर्थिक सेहत सुधारने में भी सहायक साबित होगा। हमारी सरकार 13 जिलों में 13 नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर आगे बढ़ रही है। इस तरह पर्यटन को योग और अध्यात्म से जोड़कर हम प्रदेश को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।

  योग स्वास्थ और कल्याण का समग्र दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम भर ना होकर अपने आप से  प्रकृति के साथ तादात्मय को प्राप्त करने का माध्यम है। यहहमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर तथा हमारे अंदर जागरूकता उत्पन्न करके केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक समस्याओं से लड़ने में सहायक सिद्ध हो सकताहै।  
समस्त मानवजाति के कल्याण के लिए उठाए गए इस ऐतिहासिक कदम ने भारत के महान दर्शन सर्वेभवंतु सुखिनसर्वे संतु निरामया: के भाव को चरितार्थ किया है।
आइए हम सब मिलकर प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए विश्वकल्याण के इस योग मंत्र को अपनाकर जीवन में आनंद की अनुभूति प्राप्त करें।