Thursday 8 November 2018

आओ मिलकर बनाएं शहीदों के सपनों का उत्तराखंड

मेरे प्यारे प्रदेशवासियों,
देवभूमि उत्तराखंड राज्य की स्थापना के 18 वर्ष पूर्ण होने पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। सबसे पहले मैं उन ज्ञात अज्ञात शहीदों और आंदोलनकारियों को नमन करता हूँ, जिनके अथक संघर्ष और बलिदान की बदौलत हमको ये राज्य प्राप्त हुआ। देवभूमि उत्तराखंड को वीरभूमि भी कहा जाता है, यहाँ के करीब करीब हर घर से कोई न कोई सेना और अर्धसैनिक बलों में सेवाएं दे रहा है या कार्यरत रह चुका है। इस पावन अवसर पर वीरभूमि की जनता की ओर से मैं तमाम सुरक्षाबलों के जवानों को भी श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।

भाइयों और बहनों, आप सभी जानते हैं कि यह राज्य पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल जी की देन है। इस अवसर मैं उत्तराखंड की संपूर्ण जनता की ओर से अटल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

आज हमारा राज्य 19वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। आप जानते हैं कि यह वह अवस्था होती है, जब कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार करने की दिशा में नई उमंगों और दृढ़ संकल्प के साथ कदम बढ़ाता है। उत्तराखंड पर यह लागू होता है। पिछले 18 साल में हमने बहुत कुछ पाया है, बहुत कुछ खोया भी है, लेकिन बावजूद इसके अभी हमें बहुत कुछ हासिल करना है। और मुझे पूरा विश्वास है कि उत्तराखंड जिस तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब हम भारत के अग्रणी राज्यों में शामिल होंगे। राज्य की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय के मामले में हम अन्य राज्यों के मुकाबले तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सामाजिक तरक्की की दिशा में भी हमने अपनी गति कम नहीं होने दी यही कारण है कि सामाजिक तरक्की के सूचकांक में उत्तराखंड देश का चौथा राज्य है। हमारे राज्य मे प्रगति की पर्याप्त संभावनाएं हैं। यह पर्यटन प्रदेश है, यहां कण कण में प्राकृतिक सुंदरता के साथ देवताओं का वास है। यह ऊर्जा प्रदेश है, यहां कृषि, बागवानी, एरोमैटिक खेती और जैविक खेती की असीम संभावनाएं हैं। अमूल्य वन संपदा होने के कारण यह प्रदेश बायोइकॉनॉमी का केंद्र है।


राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में आपकी सेवा करते हुए मुझे डेढ़ साल से अधिक समय हो चुका है। इस अल्प समय में हमारी सरकार ने तन मन धन से पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ प्रदेश की तरक्की के लिए कई कदम उठाए हैं। मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी है कि पिछले डेढ़ साल में हमने जो भी संकल्प लिए और जो भी वादे प्रदेश की जनता से किए उन्हें क्रमबद्ध रूप से धरातल पर उतार रहे हैं।

यह जानकर आपको हर्ष होगा कि 18 साल मे पहली बार उत्तराखंड में इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन किया गया, जिसमें 1 लाख 24 हजार करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए गए। बागेश्वर में पहली लीसा फैक्ट्री की शुरुआत के साथ इन्वेस्टर्स समिट के परिणाम हमें मिलने लगे हैं। हम चाहते हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्रचुर संसाधनों का समुचित उपयोग किया जाए, और स्थानीय स्तर पर रोजगार के व्यापक अवसर पैदा किए जाएं, इस दिशा में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन मील का पत्थर साबित होगा। इसी इनवेसटर्स समिट के दौरान आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने हमें एक मंत्र दिया था, उत्तराखंड को एसईजेड यानी स्प्रिचुअल इकोलॉजिकल जोन बनाना है। प्रधानमंत्री जी के वचनों को आत्मसात करते हुए हम उत्तराखंड के नैसर्गिक सौंदर्य के साथ साथ इसके आध्यात्मिक पहलू को भी संवारते हुए न्यू इंडिया के निर्माण में उत्तराखंड का योगदान देना चाहते है

मेरा हमेशा से मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए और सिस्टम के जरिए समाज को बदलना है तो इसके लिए राजनीतिक शुचिता और पारदर्शिता लाना बहुत जरूरी है। पिछले डेढ़ वर्ष में हमने पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से जो कुछ भी महसूस किया उसे सुशासन के रूप में आपके सामने लाने का प्रयास किया है। पहले दिन से ही हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर दृढ़ता से अमल किया है। इसके सुखद परिणाम अब दिखने लगे हैं। अगर नीतियां पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त होंगी तो निश्चित रूप से विकास धरातल पर दिखने लगता है। हमने कई भ्रष्टाचारियों को जेल पहुंचाया है तो सुशासन से सरकारी सिस्टम की कार्यशैली में बदलाव लाने का भी प्रयास किया है।
पर्यटन उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। रोजगार पैदा करने का सबसे बड़ा जरिया है। सोचिए जिस राज्य के पास 17 पर्वत चोटियां, 51 अलग-अलग संस्कृतियां, 89 छोटी-बड़ी नदियां, 111 सुरम्य झील व ताल, 151 वन्यजीव संपदा से भरपूर स्पॉट और सैकड़ों मठ मंदिर हों वहां पलायन के दंश का क्या काम। इसलिए हमने सबसे पहले पर्यटन को उद्योग का दर्जा देकर इसके विस्तार की संभावनाएं तलाशी हैं। हम 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित कर रहे हैं। योग, संस्कृति और आयुर्वेद के जरिए हम इस राज्य को नई पहचान दिलाना चाहते हैं। होम स्टे योजना को बढ़ावा दिया जा रहा है। हमारी ये कोशिश है कि पर्यटन के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। पर्यटन के साथ साथ हम ग्रामीण कृषि और कास्तकारों को भी मजबूत करने की दिशा में पहल कर रहे हैं। कृषि, पशुपालन, मौनपालन, मछलीपालन, फ्लोरीकल्चर, सगंध पौधों की खेती को प्रोत्साहन दे रहे हैं। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि पिछले कुछ समय से हमारे युवाओं ने अपने संसाधनों की कीमत पहचानी है और कई युवा शहरों से अपने गावों को आबाद करने के लिए रिवर्स माइग्रेशन कर रहे हैं

हमारी प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं आज भी बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हम ठोस कदम उठा रहे हैं। टेली मेडिसिन और टेलीरेडियोल़जी तकनीक से दूरस्थ क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रहे हैं। आयुष्मान भारत की तर्ज पर उत्तराखंड के सभी लोगों को 5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए आयुष्मान उत्तराखंड योजना शुरू करने जा रहे हैं। हमने पहली बार प्रदेश में डॉक्टरों की रिकॉर्ड तैनाती की है। पर्वतीय क्षेत्रों की लाइफलाइन इमरजेंसी 108 एंबुलेंस की संख्या बढ़ाई जा रही है। स्वास्थ्य में सुधार के लिए जो भी जरूरी उपाय होंगे, उन्हें निश्चत तौर पर पूरी पारदर्शिता के साथ अपनाया जाएगा।


पिछले डेढ़ वर्ष में हमारी ये कोशिश रही कि प्रदेश का कोई भी गांव, कोई भी घर अंधेरे में न रहे। केंद्र की सौभाग्य योजना के साथ राज्य सरकार के प्रयासों से हमने करीब 80 दूरस्थ गावों को बिजली पहुंचाई है। प्रदेश का सीमांत गांव घेस भी अब बिजली से जगमग हो उठा है। सभी गावों, कस्बों और शहरों में साफ शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
हमारा प्रदेश जितनी संभावनाओं से भरा हुआ है, उतनी ही चुनौतियां भी यहां मौजूद हैं। उत्तराखण्ड में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए कई चुनौतयों का सामना करना पड़ता है। यहां कुल भूमि का दो तिहाई वन क्षेत्र है, गंगोत्री से उत्तरकाशी तक करीब 4000 वर्ग किमी क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन में आता है। पर्यावरणीय नियम हमें कई बार विकास योजनाओं को आधे में छोड़ देने के लिए विवश करते हैं।
एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह कि हमारे पर्वतीय जिलों और मैदानी जिलों में प्रतिव्यक्ति आय और जिलों की जीडीपी में बहुत बड़ा अंतर है। हमारे 9 जिले पूरी तरह से पर्वतीय क्षेत्र और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हैं।
पलायन उत्तराखंड की गंभीर समस्या है और इसका सीधा असर राज्य की आर्थिकी पर भी पड़ा है। प्रदेश के अधिकांश पहाड़ी जनपदों में अधिकतर कर्मकार काम की तलाश में पलायन कर चुके हैं। इसके असर से हमारी कृषि जोत घट रही है।
विपरीत मौसम में सड़कों की मरम्मत पर भी काफी खर्च होता है। प्राकृतिक आपदाओं से जालमाल का काफी नुकसान होता है। इससे भी राज्य के राजस्व पर बोझ बढ़ रहा है।
कुल मिलाकर हमारे सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन हमें एकजुट होकर इन चुनौतियों को अवसरों में बदलना है। हम टीम उत्तराखंड की भावना से उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शुमार करने के लिए प्रयासरत हैं।
अंत में एक बार फिर से मैं आप सभी को राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।