Friday 1 December 2017

विवेकानंद इंटरनेशनल फाउन्डेशन में रिवर बेसिन मैनेजमेंट विषय पर मेरे विचार

 स्वामी विवेकानंद जी का उत्तराखंड से गहरा रिश्ता है। स्वामी विवेकानंद उत्तराखंड राज्य में 4 बार आए। और जो विषय आज का आपने रखा है रिवर बेसिन मैनेजमेंट वह भी मेरे राज्य के लिए विशेष है। मेरे प्रदेश से निकलने वाली गंगा देश का सबसे बड़ा रिवर बेसिन है। गंगोत्री से गंगासागर तक पांच राज्यों से होते हुए यह 2525 किलोमीटर का सफर तय करती है। देश की सिंचित भूमि का 40 प्रतिशत भाग इसी के पानी पर निर्भर करता है। देश की बड़ी आबादी को खाघ सुरक्षा इसी बेसिन से मिलती है। मतलब साफ है कि मामला आस्था के साथ साथ आजीविका से भी जुडा है। ये तो था मेरे राज्य का गंगा और स्वामी विवेकानंद से नाता।


अब मैं आज के महत्वपूर्ण विषय पर आता हूं। खासकर जब हम रिवर बेसिन मैनेजमेंट की बात करते हैं तो समस्त मानवजाति के जीवन को लेकर हम चर्चा कर रहे हैं। जल है तो कल है,जल है तो जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। यह बात हर कोई जानता है बावजूद इसके जल की  बूंद बूंद बचाने के लिए अभियान चलना चाहिए वो नहीं दिखाई देता। ये बात किसी से छिपी नही है की हमारी कई नदियां विलुप्त हो चुकी है, कई विलुप्त होने के कगार में है। कई नाला बन चुकी है। कई इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह चुकी है।  हमारे देश में जो 22 बड़े रिवर बेसिन हैं इसमें पानी की जो कमीं आई है वो बताने के लिए काफी है कि इस ओर ठोस कदम नहीं उठाये गए तो हालात खराब होते जाऐंगे। बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, उघोग और कृषि के क्षेत्र इससे सीधे प्रभावित होंगे।

एक उदाहरण से हम इसे आसानी से समझ सकते हैं। 1991 में औसत सालाना प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 2209 क्यूबिक मीटर थी जो 2001 में 1816 क्यूबिक मीटर रह गई, 2011 में ये घटकर1545 क्यूबिक मीटर रह गई। और जो अनुमान है उसके मुताबिक 2025 में यह 1340 और 2050 में 1140 क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाएगी।  बढ़ती आबादी के चलते इसमें लगातार गिरावट आ रही है। ये आंकड़े पर्याप्त हैं यह बताने के लिए की हालात दिन पर दिन कितने खतरनाक होते जा रहें हैं।

एक और उदाहरण मैं आपके सामने रखता हूं। औऱ उसका मानक है प्रति व्यक्ति पानी का स्टोरेज। रूस में प्रति व्यक्ति पानी का स्टोरेज 6103 क्यूबिक मीटर है। आस्ट्रेलिया में यह 4773 क्यूबिक मीटर है और चीन में यह 1111 क्यूबिक मीटर है। भारत की जब हम बात करते हैं तो यह आंकड़ा भी हैरान करने वाला है यहां प्रति व्यक्ति पानी का स्टोरेज 209 क्यूबिक मीटर हैं। इसका मतलब यह है कि रूस 4 साल तक लागातर सूखे का सामना कर सकता है। आस्ट्रेलिया 3 साल तक मगर भारत एक साल भी सूखे का सामना नहीं कर सकता। और आप सब जानते हैं कि भारत का आज भी 60 फीसदी खेती भगवान के भरोसे है यानि मानसून पर निर्भर करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ग्रामीण कृषि सिंचाई योजना के जरिये हर खेत को पानी देने का लक्ष्य रखा है और मैं मानता हूं कि जिस तेजी से काम हो  रहा है हम हर खेत को पानी देने में जरूर कामयाब होंगे।

एक और उदाहरण आपके समाने रखता हूं। भारत में प्रतिदिन 38 हजार 3 सौ 54 मिलियन लीटर sewage generate होता है। मगर जो हमारी (treatment capacity) या शोधन क्षमता है वह केवल 11 हजार 7 सौ 86 मिलियन लीटर per day है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। मैं समझता हूं हमारे विशेषज्ञ इस विषय पर आज जरूर अपनी राय रखेंगे।

एक औऱ बेहद चिंताजनक बात हमारे ground water को लेकर हैं। भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है। हमने बिना सोचे समझे भूजल का दोहन किया। जबिक recharge  के बारे में जितना काम होना चाहिए उतना हुआ नही। इसी तरह arsenic contamination के चलते 12 राज्यों के 96 जिलों की हालत चिंताजनक बताई गई है। इससे लोगों और जानवरों के स्वास्थ में विपरित असर पड़ रहा है।

इजरायल की जल संरक्षण के तकनीक आज विश्व  प्रसिद्ध है। खासकर उन्होंने खारे पानी को पीने के लायक बनाया। per drop more crop जो मंत्र हमारे प्रधानमंत्री ने खेती के लिए दिया है इजरायल ने इसके सहारे अपनी खेती में जबरदस्त तरक्की की है। कुछ और देश भी इस ओर काम कर रहे हैं। दुनिया में जल संरक्षण और शोधन के लिए जो अच्छे काम हो रहे हैं उससे हमें सीख लेकर यहां लागू करना चाहिए।

मैं ये मानता हूं की जल संरक्षण में राज्यों की मुख्य भूमिका होनी चाहिए। मुझे जब इस राज्य का नेतृत्व मिला मैने शुरूआत में जल संचय, जीवन संचय कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके तहत हमने toilet के सिस्टर्न में एक लीटर पानी , रेत या मिटटी से भरी बोतल डाली। कुल 2लाख 73हजार 222 सिस्टर्न में प्लास्टिक की बोतल रख कर हम सालाना 14 हजार 748 लाख ली0 जल की बचत कर पाऐंगें।

और यह पूरा कार्यक्रम zero budget का है। इसके अलावा हर जिले में  जन जागरूकता अभियान चलाकर 3837 चालखाल, जलकुण्ड, फार्म पौण्ड का निर्माण, 84000 कन्टूर ट्रेंच का निर्माण, 2186चैक डैम का निर्माण, तथा 381 रेनवाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण करके 34631.99 लाख ली0 जल संचय क्षमता में वृद्धि का लक्ष्य रखा है। और मैं आप सबको यह भरोसा दिलाता हूं कि हम इस लक्ष्य को पूरा करेंगे। मैने इसी माह दो नदियों रिस्पना और कोसी नदी को rejunuvate करने का बीड़ उठाया है। एक प्रदेश की राजधानी देहरादून की  लाइफलाइन है तो कोसी नदी कुमाऊं की लाइफ लाइन है। धीरे धीरे बाकि नदियों के संवर्धन के लिए भी कार्योजना तैयार की जा रही है। इस काम में सरकार  विशेषज्ञ, धार्मिक गुरू और स्थानीय जनता सबको शामिल किया गया है। आगामी समय में जल स्रोतों के संरक्षण-संवर्द्धन तथा जलश्रोत मैंपिग करने पर काम किया जा रहा है। जल संरक्षण संवर्द्धन के अन्तर्गत सिंचाई विभाग  09 जनपदों में 21 जलाशय और 02 बैराज बना रहा है। इसमें  लगभग 20.675 लाख क्यूबिक मीटर सतही एवं वर्षा जल का भण्डारण किया जा सकेगा।

मेरी सरकार 2022 तक 5000 प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित/संवर्द्धित करने के लक्ष्य रखा है। और ये मेरे लिए Article of faith का मुददा है।

उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजना की अपार संभावना है। हमारी जलविद्युत क्षमता 25 हजार मेगावाट है। मगर हम केवल 4000 मेगावाट का ही दोहन कर पा रहे हैं। कुछ पर्यायवरण से जुडे़ पहलु हैं जिनपर काम किया जा रहा है। मुझे विश्वावस है कि इस क्षमता का दोहन राज्य के विकास के लिए आने वाले दिनों में हम कर पाऐंगे।

आखिर में मैं इतना कहूंगा यहां जो मंथन होगा वो भारत के साथ साथ मेरे पहाड़ी राज्य के लिए लाभदायक होगा। मैं देख रहां हूं कि दिल्ली में धूप नहीं खिल रही। कोहरा भी है, प्रदूषण को लेकर भी चिंता है। इसलिए मैं आपको अच्छी धूप, स्वच्छ हवा और शुद्ध भोजन और पानी के लिए देवभूमि उत्तराखंड में आमंत्रित करता हूं। विश्वास रखिए अतिथि देवो भवः में कोई कमी नही आने दी जाएगी। आप जरूर आईये अपने बंधु बांधवों को भी लाईये। आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।



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