मुझे आज सबसे ज्यादा प्रसन्नता इस बात की हो रही है कि मुझे ऐसे राज्य की सेवा का अवसर मिला है जिसे Land of God कहा जाता है। देवभूमि उत्तराखंड में 33 करोड़ देवताओं का वास है, और अतिथि देवो भव: के सिद्धांत पर चलना हमारी परंपरा रही है। हमारा लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा अतिथि हमारे आतिथ्य को स्वीकारें और हमें अतिथि देवः भवः के भाव को चरितार्थ करने का अवसर प्रदान करें। मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि जो एक बार मेरी देवभूमि में कदम रखेगा वो इस धरा से सदा के लिए अपना रिश्ता बना लेगा। ये राज्य जाना ही जाता है कुदरती हवा-पानी के लिए।
जब भी
कोई पर्यटन की दृष्टि से कहीं भी जाना
चाहता है तो दो चीजें जरूर देखता है-अपनी इच्छा का मौसम और
अपनी रुचि का स्थान। यानि किसी को सर्दी,गर्मी, गिरती हुई बर्फ अच्छी लगती है तो
कोई एडवेंचर टूरिज्म का लुत्फ लेना चाहता है। उत्तराखंड में आप वो सबकुछ पा सकते
हैं।
अगर
आप योग और ध्यान में रुचि रखते है तो दुनिया की योग कैपिटल ऋषिकेश आगंतुकों के स्वागत
के लिए हमेशा तैयार है। अगर आप पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे ऊपर रहने वाले बाघों
के साक्षात दीदार करना चाहते हैं तो कॉर्बेट से बेहतर भला कौन सी जगह हो सकती है।
इसी तरह गजराज हाथियों के दर्शन के लिए राजाजी नेशनल पार्क आएं।
कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत में टाइगर हब के रूप में जाना जाता है |
अगर
आप की रुचि एडवेंचर टूरिज्म में है तो उत्तराखंड आपके लिए खजाने जैसा है। ऋषिकेश
में बंजी जंपिंग, रॉक क्लाइंबिंग, रिवर राफ्टिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का लुत्फ
उठाने के बाद ऑली आपको मौका देता है स्नो स्केटिंग और स्कीइंग के रोमांच को महसूस
करने का।
औली में एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए दुनियाभर के सैलानी आते हैं |
इसी
तरह आप पर्वतराज हिमालय के साक्षात दर्शन करना चाहते हैं तो अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से
लेकर पौड़ी-चमोली तक हिमालय के गगनचुंबी शिखरों के नयनाभिराम दृश्य आपको यहां
दिखाई देते हैं।
उत्तराखंड
को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहां पग पग पर धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं के
मठ मंदिर स्थापित हैं। विश्व प्रसिद्ध चार धामों से लेकर हेमकुंड साहिब और जीवनदायिनी गंगा के चौडे मुहाने, माता के सिद्धपीठ, और साधु संतों के सैकड़ों
आश्रम श्रद्धालुओं को यहां खींच लाते हैं।
इसी
तरह आप झीलों की सुंदरता और नौकायान के शौकीन हैं तो सरोवर नगरी नौनीताल आपके
स्वागत के लिए तैयार है। नैनी झील भीमताल, सातताल,नौकुचियाताल के
गहरे नीले पानी में अठखेलियां करने का सौभाग्य सिर्फ इसी देवभूमि में आपको मिलेगा।
देवभूमि
सुरक्षित और शांतिपूर्ण पर्यटन के लिए भी भारत में विख्यात है, शायद इसीलिए आपदा
से उबरने के बाद इस साल चार धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा पर रिकॉर्ड 21 लाख से
ज्यादा श्रद्धालु पधारें हैं। इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी,
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी,व पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी का
विशेष आभार व्यक्त करता हूं जो चार धाम यात्रा पर इस साल पधारे और श्रद्धालुओं को
यहां आने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा इस साल हरिद्वार कांवड़ मेले में भी रिकॉर्ड
श्रद्धालु उमड़े। मैं उत्तराखंड पधारे उन तमाम पर्यटकों-श्रद्धालुओं का हार्दिक
धन्यवाद प्रकट करता हूं जिन्होंने यहां पधारकर उत्तराखंड पर्यटन की व्यवस्थाओं पर
विश्वास दिखाया।
देवभूमि
में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार हमेशा प्रतिबद्द है। पर्यटन को
रोजगार से जोड़ने के लिए हमने 13 जिलों में 13 नए पर्यटन स्थल विकसित करने की
योजना बनाई है, जिससे न सिर्फ उत्तराखंड की छिपी हुई खूबसूरती दुनिया के सामने आ
सके बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जा सके। इसके अलावा आध्यात्मिक
रुचि वाले पर्यटकों के लिए संस्कृति ग्राम की स्थापना की जा रही है, जिससे पर्यटन,
आध्यात्म और रोजगार एक साथ जुड़ जाएंगे। पलायन की मार सह रहे गांवों के विकास के
लिए ग्रामीण क्षेत्रों में होम स्टे योजना को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हर
साल लाखों पर्टयक उत्तराखंड आकर न सिर्फ सुरम्य प्राकृतिक नज़ारों का लुत्फ उठाते
हैं बल्कि एडवेंचर टूरिज्म का भी कभी न भूलने वाला अहसास लेकर जाते हैं। कण कण में
देवों के वास वाले उत्तराखंड में कोई स्थान ऐसा नहीं जहां आपको आध्यात्मिकता का
अनुभव न हो। कदम कदम पर पौराणिक ऐतिहासिक मंदिरों और धर्मस्थलों के जरिए आपको
अद्वितीय शक्ति का अहसास होगा। शायद इसीलिए स्वामी विवेकानंद से लेकर महात्मा
गांधी तक हिमालयी उत्तराखंड के दौरे पर एक बार नहीं बल्कि कई बार आते रहे।
एक
बार पुन: विश्व
पर्टयन दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए मैं आपसे विविधताओं भरे राज्य उत्तराखंड में
आगमन का आग्रह करता हूं।
धन्यवाद
त्रिवेंद्र
सिंह रावत
मुख्यमंत्री,
उत्तराखंड
लेख पढ़ के अच्छा लगा। एक बार हमारा लेख भी देखें देवभूमि उत्तराखंड
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